
जनता क्यूँ रोती है, ये कह कर हर बार,
कि हम सहते हैं महंगाई की मार, दोष देती हैं अक्सर की गलत है सरकार,
इसीलिए मची हुई है आज हर तरफ महंगाई की हाहा कार!
क्यूँ भूल जाती है जनता, की सरकार पर नहीं होता कोई एकाधिकार,
जनता के बीच के लोगों से ही बनती है हर एक नई सरकार!
आप ही चुन कर लातें हैं अपना अपना उम्मीदवार,
सौपं देतें हैं उन्हें देश को चलाने का अधिकार,
क्यूँ नहीं करते चुनने से पहले नेताओं की पूरी जांच परताल,
की राजनेता है आम लोगो का, या फिर केवल हैं कुर्सी का लाल!
क्यूँ चुनते हैं ऐसे लोगो को जिनका पिछला रिकॉर्ड होता नहीं साफ़,
कैसे कर देते हैं आप, मुजरिमों ओर बाहुबलियों को इतनी जल्दी माफ़,
वो नेता नेता कैसा, जिसकी कथनी और करनी में होता हैं अंतर हर बार,
फिर भी जनता चुन कर लाती हैं ऐसे नेताओं को हर बार !
उठ जाओं इस युग को रौशनी की और बढ़ाओ,
इसे अंधेरी दिशाओं में खो जाने से बचाओ!
कब तक रहोगे गूंगे बने, अब तो आवाज़ उठाओ,
भ्रष्टाचार के जाल को तोड़ कर , देश को तरक्की की ओर बढाओ !