गाँधी को नहीं देखा हमने किन्तु उनके आदर्शों को आज जाना हैं ,
अहिंसा में कितनी ताकत हैं , इस बात को आज सभी ने माना है !
कितनी ही सरकारें आयीं , कितने ही नेता बदले ,
सबने अपनी सत्ता देखी , भारत कि तरक्की के बदले !
संसद को बनाया जनता ने , पर आज संसद पर जनता का क्यूँ कोई अधिकार नहीं ,
कोई करना चाहे शांति से गर अनशन देश कि भलाई कि खातिर , तो क्यूँ संसद को ये स्वीकार नहीं !
एक अनशन करके अन्ना ने देश के हर आम आदमी कि तरफ से एक बुलंद आवाज़ उठायी हैं ,
भ्रस्टाचार को कैसे दूर करना हैं , ये बात इन्होने अपने जन लोकपाल बिल मैं बड़े सरलता से समझाई हैं !
सरकार को मगर ये बातें थोड़ी देर से समझ आयीं हैं ,
मगर ख़ुशी इस बात कि हैं कि देर से ही सही ,
किन्तु भ्रस्टाचार को दूर करने के लिये सरकार ने अपनी सहमती तो जताई हैं !
आज सदियों बाद ऐसा लगता हैं कि देश में एक नई क्रांति ने ली अंगडाई हैं ,
अन्ना ने हर आम आदमी को उसके हक़ ओर अधिकारों कि याद दिलाई हैं !
ओर समझाया हैं यही कि , जब कुछ करने का जज्बा सही हो तो जीत एक न एक दिन मिल ही जाती हैं
राह कितनी ही मुश्किल क्यूँ ना हो मगर , अंत में राही को मंजिल मिल ही जाती हैं !
बज गया ब्रिगुल , चुनावों कि हो रही हर तरफ शुरूवात है , हलचल सी मच गई है , हवाओं में भी कुछ बात ख़ास है ! हर गली हर मुहल्ले में लग रहे हैं पोस्टर्स प्रचार के , नेता जी भी दिख रहे हैं हाथ जोड़े , सड़क पर बिना किसी कार के ! एक तरफ तो हाथ है , दूसरी तरफ कमल का साथ है , कहीं पर है साइकल , तो कहीं पर हाथियों का काफिला साथ है ! हर एक प्रत्याशी पाना चाहता हैं कुर्सी यहाँ , जिसके लिये बहाता है पैसे वो पानी कि तरह , सभी पार्टी एक दूसरे कि गलतियों का चिटठा खोलती हैं बस चुनावों में , इसी वक़्त मिलकर बाटते हैं लोगो के दुःख दर्द , पैदल जा कर घर घर गाँव में ! मुद्दा होता है कभी महंगाई , तो कभी घोटालों का पर्दाफाश होता है , जीतता है प्रत्याशी जो बड़ा ही खुश होता हैं , हारने वाले फिर दूसरे कि गलतियों को ढूँढने में व्यस्त होता है ! किन्तु इन सभी के बीच में देश का एक आम आदमी सबसे ज़्यादा तकलीफ को सहता हैं , सभी घोटालों ओर भ्रस्टाचारों का कहर सिर्फ इसी पर पड़ता हैं ! देश तरक्की करता हैं , संसद भी चलता रहता हैं , पास होते है गरीबों कि तरक्की के कई बजट , किन्तु काम सिर्फ पन्नो पर ही कहीं रह जाता हैं ! अनाज तो बहुत होता है मेरे भारत में , किन्तु तरक्की कि दुहाई दे कर , सब एक्सपोर्ट हो जाता हैं , और मेरे भारत का एक आम आदमी , आज भी बिना खाना खाए कई कई दिनों तक भूखा सो जाता है ! बात छोटी नहीं , समस्या बड़ी गम्भीर हैं , किन्तु आज के नेता फिर लकीर के फकीर हैं , नहीं जानते आज तक कि देश को चलाना कैसे है , किन्तु फिर भी राजनीति कि संभाले ये ही सारी बाग़ डोर हैं !