Saturday, July 17, 2010

{आशाएँ- मेरे सपनो के भारत की}

कल्पना एक ऐसे भारत की करती हूँ मैं अपने मन में ,
अपनापन जिसके जन जन में,खुशाली जिसके कड़-कड़ में,

प्रतिदिन जिसका सोने का हो,चाँदी सी जिसकी हो रातें,
सुख सुविधा की कही कमी ना हो,हर तरफ हो खुशियों की बरसातें!

मानव -मानव के नाते ही,जिसमें पहचाना जाता हो,
मानव से मानव का केवल,मानवता का ही नाता हो,

चाहे वो मानव ,किसी धर्म या किसी प्रांत का वासी हो,
किन्तु मन से सबसे पहले एक सच्चा भारतवासी हो!

कर्त्तव्य निभाने के हो आदि ,जिसके सब रहने वालें हों,
हो नहीं आलसी एक जहाँ,श्रम करके सब जीने वालें हों,

मेरे सपनो के भारत में,हर बचपन को हँसता पाऊं,
कर भ्रष्टाचार को दूर कहीं,सच्चाई की क्रांति ला पाऊं,

मेरे सपनो के भारत में किसी भी इंसान को,खाने पीने का कोई कष्ट ना हो,
हो सच्चा न्याय यहाँ,अधिकारी कोई भ्रष्ट ना हो!

मेरे सपनो का भारत वो जिसमें ऐसा इंसान ना हो ,
जिसके मुख-मंडल पर शोभीत, सिक्षा की मुस्कान ना हो,

मेरे सपनो के भारत में होगा शोषण अन्याय नहीं,
कोई भी गलत तरीके से पैदा करना चाहेगा आय नहीं ,
कितना सुन्दर मेरा भारत है -होगी सबकी बस राये यही !!

1 comment:

  1. very nice & sweet thought, keep doing the good work. I like it, well done thumps up............

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